गणेशजी भगवान की चिमटी में चावल और चम्मच में खीर वाली कहानी
एक बार गणेशजी भगवान बालक रूप धारण कर पृथ्वी पर निकले | उन्होंने एक चम्मच दूध ले लिया और चिमटी में चावल लेकर सबको कहने लगे – कोई माई खीर बना दो , कोई माई खीर बना दो | परन्तु सबने बालक समझकर हंसकर टाल दिया |
एक बुढिया माई बोली बेटा तेरा नाम क्या हैं ? ला मैं तेरी खीर बना दू | बालक ने कहा मेरा नाम गणेश हैं | गणेश दूध और चावल माई को देकर चला गया | बुढिया माई ने छोटी भगोनी में दूध चढाया परन्तु दूध छीज गया और चावल जल गये | जब बालक रूपधारी गणेश आया और पूछा – माई खीर बना दी तब बुढिया माई ने कहा ! छोटी भगोनी में दूध चढाया परन्तु दूध छीज गया और चावल जल गये | तब गणेश जी ने कहा ! माई तुझे तो बनाना नहीं आता तू स्नान ध्यान से निर्वत होकर गणेशजी भगवान का नाम लेकर बड़ा भगोना चढ़ा देना | खीर बन जायेगी | दुसरे दिन बुढिया माई ने वैसा ही किया और खीर बन गई |
बुढिया माई अपनी बहूँ से बोली मैं गणेश को बुला कर लाती | बुढिया माई नगरी में गणेश को आवाज लगाने लगी गणेश , गणेश | गणेश जी भगवान प्रकट हुए और बोले माई मेरे तो भोग लग गया | तब बुढिया माई बोली हे गणेश भगवान आपको भोग कैसा लगा तब गणेशजी भगवान ने कहा ! माई तेरी बहूँ ने मेरा नाम लेकर हे गणेशजी भगवान भोग लगना ऐसा कहकर एक कटोरी खीर पिली | मैं तो श्रद्धा और प्रेम का भूखा हूँ | तब बुढिया माई बोली हे गणेश जी भगवान बहूँ के भ्रम को बनाये रखना किसी को मत बताना | अब मैं क्या करू | तब गणेशजी भगवान ने कहा – हे बुढिया माई नगरी जीमा दे और जो बचे उसे घर के चारों कोनों में गाढ़ दे तेरे अन्न धन के भंडार भर जायेंगे |
बुढिया माई ने नगरी नूत दी लोगो ने कहा गरीब बुढिया माई क्या जिमाएगी | पर चलो उसके घर पर पानी का लोटा ही गिरा कर आयेंगे | जो भी आया जीम कर गया किसी ने भी ऐसी स्वादिष्ट खीर पहले कभी नहीं खाई थी | सबने बुढिया माई से पूछा तब बुढिया माई ने निष्कपट भाव से सारी बात बता दी | सारा गाँव बुढिया माईकी बात सुन कर बुढिया माई की श्रद्धा भक्ति भोलेपन की प्रशंसा कर रहे थे | बुढिया माई के अन्न धन के भंडार भर गये झोपडी की जगह महल बन गया | हे गणेश जी भगवान जैसा बुढिया माई को दिया वैसा सबको देना सब पर अपनी कृपा बनाये रखना | गणेश जी भगवान ऐसे ही हैं जो जिसकी कामना होती हैं उसे पूर्ण कर देते हैं |
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