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Thursday, April 6, 2023

भारतीय संस्कृति की कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां




चार वेद : : ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद।


छ: शास्त्र : वेदांग, सांख्य, योग, निरुक्त व्याकरण, छन्द।


सात नदियाँ : गंगाजल, जमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी।


अट्ठारह पुराण : गरुड़ पुराण, भागवत पुराण, हरिवंश पुराण , भविष्य पुराण , लिंग पुराण, पद्म पुराण , बावन पुराण, कुर्म पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण , मत्स्य पुराण , स्कंध पुराण, ब्रह्म पुराण, नारद पुराण, कल्कि पुराण, अग्नि पुराण, शिव पुराण, विष्णु पुराण, वराह पुराण।


पंचामृत : दूध , दही , घी, शहद, शक्कर।


पाँच तत्व : पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, अग्नि।


तीन गुण : सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण।


तीन दोष शरीर : वात, पित्त, कफ।


तीन लोक : आकाश, पाताल, मृत्यु लोक।


सात सागर : क्षीरसागर, दूधी सागर, घृत सागर, पयान सागर, मधुसागर, मदिरा सागर, लहू सागर।


सात द्वीप : जंबूद्वीप, पलक्ष द्वीप, कुश द्वीप, शालमाली द्वीप, क्रौंच द्वीप, शंकर द्वीप, पुष्कर।






तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, महेश।


तीन जीव : जलचर, नभचर, थलचर।


तीन वायु : शीतल, मंद, सुगंध।


चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय,वैश्य, शूद्र।


चौदह भुवन : तल,अतल, वितल, सुतल, रसातल, पाताल, भूवलोक, र्भूलोक, स्वर्ग लोक, मृत्यु लोक, यमलोक, वरुण लोक, सत्यलोक ब्रह्मलोक।


चार फल : धर्म,अर्थ, काम,मोक्ष। 


चार शत्रु : काम, क्रोध, लोभ, मोह |


चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, गृहस्थ,वानप्रस्थ सन्यास। 


चार धाम : बद्रीनाथ,द्वारका,रामेश्वरम, जगन्नाथ पूरी ।


चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास।


पच्चंगव्य : दूध, दही, घी, गोबर यज्ञ।


अष्ट धातु : सोना, चांदी, ताँबा, लोहा, शीशा, काँसा, राँगा, पीतल ।


पाँच देव : ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, सूर्य।


चौदह रत्न : अमृत, ऐरावत हाथी, कल्पवृक्ष, कौस्तुभ मणि, उचचैश्रवा घोड़ा, शंख, चंद्रमा, धनुष, कामधेनु,धन्वंतरि वैद्य, रंभा अप्सरा, लक्ष्मी, वारुणी, वृष ।


नौ विधि : पक्ष,महापक्ष,शंख,मकर, कश्यप, कुकन्द, मुकन्द,नील बर्च।


नवधा भक्ति : श्रवण, कीर्तन,स्मरण, पादसेवन, अर्चना, वंदना, मित्र, दास्य, आत्मानिवेदन।


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Saturday, April 1, 2023

वैदिक ज्ञान : राम नवमी

 "राम नवमी" एक हिंदू वसंत त्योहार है जो विष्णु के सातवें अवतार राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

हिंदू धर्म की वैष्णव परंपरा में राम का विशेष महत्व है। यह त्योहार अयोध्या में राजा दशरथ और रानी कौशल्या के जन्म के माध्यम से विष्णु के राम अवतार के रूप में मनाया जाता है। त्योहार वसंत (वसंत) नवरात्रि का एक हिस्सा है, और हिंदू कैलेंडर में पहले महीने चैत्र के उज्ज्वल आधे (शुक्ल पक्ष) के नौवें दिन पड़ता है।

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Tuesday, March 28, 2023

वैदिक ज्ञान

 

 दक्षिणी भारतीय क्रमशः शैव या वैष्णव हैं या नहीं, इसके आधार पर तिलक (विभूति-क्षैतिज) या नामा (ऊर्ध्वाधर) पहनते हैं।


 शैव लोग विभूति या पवित्र राख क्षैतिज रूप से (तिलक भी) पहनते हैं। वे भगवान शिव का अनुसरण करते हैं। तमिलनाडु में अय्यर परंपरा का पालन करते हैं


 विभूति टिकक की तीन पंक्तियाँ सत्य के तीन अवरोधों को दर्शाती हैं - 

अनव [अहंकार], 

कर्म [कर्म] 

और माया [भ्रम]।


 वैष्णव इसे लंबवत पहनते हैं। वे श्री विष्णु का अनुसरण करते हैं। तमिलनाडु में अयंगर परंपरा का पालन करते हैं


 दो बाहरी रेखाएँ भगवान के पैर हैं [कल्पना करें कि कोई अपने पैरों को वी-आकार की स्थिति में खड़ा कर रहा है] और भीतरी रेखा महालक्ष्मी की है जो अपने पैरों को विनय के कारण बंद रखे हुए हैं।


कृपया कमेंट करें, यदि दी गई जानकारी वास्तविक तथ्यों से भिन्न है

 


 

Sunday, March 12, 2023

गणेश जी भगवान की कहानी |

 गणेशजी भगवान की चिमटी में चावल और चम्मच में खीर वाली कहानी

     

       एक बार गणेशजी भगवान बालक रूप धारण कर पृथ्वी पर निकले | उन्होंने एक चम्मच दूध ले लिया और चिमटी में चावल लेकर सबको कहने लगे – कोई माई खीर बना दो , कोई माई खीर बना दो | परन्तु सबने बालक समझकर हंसकर टाल दिया |


एक बुढिया माई बोली बेटा तेरा नाम क्या हैं ? ला मैं तेरी खीर बना दू | बालक ने कहा मेरा नाम गणेश हैं | गणेश दूध और चावल माई को देकर चला गया | बुढिया माई ने छोटी भगोनी में दूध चढाया परन्तु दूध छीज गया और चावल जल गये | जब बालक रूपधारी गणेश आया और पूछा – माई खीर बना दी तब बुढिया माई ने कहा ! छोटी भगोनी में दूध चढाया परन्तु दूध छीज गया और चावल जल गये | तब गणेश जी ने कहा ! माई तुझे तो बनाना नहीं आता तू स्नान ध्यान से निर्वत होकर गणेशजी भगवान का नाम लेकर बड़ा भगोना चढ़ा देना | खीर बन जायेगी | दुसरे दिन बुढिया माई ने वैसा ही किया और खीर बन गई |


बुढिया माई अपनी बहूँ से बोली मैं गणेश को बुला कर लाती | बुढिया माई नगरी में गणेश को आवाज लगाने लगी गणेश , गणेश | गणेश जी भगवान प्रकट हुए और बोले माई मेरे तो भोग लग गया | तब बुढिया माई बोली हे गणेश भगवान आपको भोग कैसा लगा तब गणेशजी भगवान ने कहा ! माई तेरी बहूँ ने मेरा नाम लेकर हे गणेशजी भगवान भोग लगना ऐसा कहकर एक कटोरी खीर पिली | मैं तो श्रद्धा और प्रेम का भूखा हूँ | तब बुढिया माई बोली हे गणेश जी भगवान बहूँ के भ्रम को बनाये रखना किसी को मत बताना | अब मैं क्या करू | तब गणेशजी भगवान ने कहा – हे बुढिया माई नगरी जीमा दे और जो बचे उसे घर के चारों कोनों में गाढ़ दे तेरे अन्न धन के भंडार भर जायेंगे |           

             बुढिया माई ने नगरी नूत दी लोगो ने कहा गरीब बुढिया माई क्या जिमाएगी | पर चलो उसके घर पर पानी का लोटा ही गिरा कर आयेंगे | जो भी आया जीम कर गया किसी ने भी ऐसी स्वादिष्ट खीर पहले कभी नहीं खाई थी | सबने बुढिया माई से पूछा तब बुढिया माई ने निष्कपट भाव से सारी बात बता दी | सारा गाँव बुढिया माईकी बात सुन कर बुढिया माई की श्रद्धा भक्ति भोलेपन की प्रशंसा कर रहे थे | बुढिया माई के अन्न धन के भंडार भर गये झोपडी की जगह महल बन गया | हे गणेश जी भगवान जैसा बुढिया माई को दिया वैसा सबको देना सब पर अपनी कृपा बनाये रखना | गणेश जी भगवान ऐसे ही हैं जो जिसकी कामना होती हैं उसे पूर्ण कर देते हैं |


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